वरिष्ठ स्वास्थ्य प्रबंधन (Geriatric Care)
वृध्दावस्था की आम समस्याएं:-
- जोड़ों व शरीर में दर्द
- कमज़ोरी
- थकान
- कब्ज़
- तनाव व अवसाद
- मसूड़ों व दॉंतों की समस्याएं
- शारीरिक अंगों में संतुलन व समन्वय का अभाव
प्रत्येक उम्र में हमारी उर्जा का स्तर अलग होता है, बाल्यावस्था में हमारे पास असीम उर्जा होती है और अगर इस अवस्था में हमारी सही देखभाल हुई हो तो निश्चित तौर पर युवावस्था में हमारी उत्पादकता सामान्य से बेहतर होगी, और अगर हमने युवावस्था में अपनी जीवनशैली पर ध्यान दिया व सही तरीके से अपनी उर्जा का संरक्षण किया हो, तभी वृध्दावस्था में हम सामान्य तरीके से जी पाएंगे।

- दर्द प्रबंधन(Pain Management) : वृध्दावस्था में घुटनों, पीठ व कमर का दर्द एक आम समस्या है, विशेष तौर पर जोड़ों का दर्द दैनिक जीवन की गतिविधियों को प्रभावित करता है | इन समस्याओं के अलावा हर प्रकार के दर्द से राहत पाने में फ़िज़ियोथेरेपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |
- सुदृढ़ीकरण हेतु व्यायाम(Strengthening Exercises) : वृध्दावस्था में पूरे शरीर की कार्यक्षमता कम हो जाती है, आम तौर पर कमर, घुटने व कंधे कमज़ोर पड़ जाते हैं | फ़िज़ियोथेरेपी विशेष व्यायामों की मदद से जोड़ों, मांसपेशियों तथा विभिन्न अंगों के साथ-साथ संपूर्ण शरीर को मजबूत बनाती है |
- दैनिक जीवन की गतिविधियों हेतु प्रशिक्षण(Training for Daily life Activities) : अपनी जीवनशैली के अनुसार बुज़ुर्गों को दैनिक जीवन की विभिन्न गतिविधियों में अलग-अलग प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । जैसे- पार्किंसन रोग(Parkinson’s disease) में रोगी के शरीर के अंग कॉंपते रहते हैं, जिसके कारण वे अपना हस्ताक्षर तक करने में असमर्थ होते हैं। हमारे यहॉं बुज़ुर्गों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उन्हें प्रशिक्षण दिए जाते हैं ।

- संतुलन प्रशिक्षण(Balance Training) : अगर आप संतुलित तरीके से नहीं चल पाते, तब आपके शरीर व अंगों को संतुलन बनाये रखने व आपको गिरने से बचाने के लिए निश्चित तौर पर भारी कीमत चुकानी पड़ती है | हमारे यहॉं श्री श्री तत्व पंचकर्म के फ़िज़ियोथेरेपी विभाग में, विशेषकर बुज़ुर्गों के लिए बनाये गये “संतुलन प्रशिक्षण कार्यक्रम” में इस समस्या के समाधान हेतु अनुभवी चिकित्सकों की कुशल टीम उनकी मदद करती है, ताकि वे अपने जीवन में पुनः संतुलन, स्वास्थ्य व आत्मविश्वास प्राप्त कर सकें |
- फ़ुर्ती हेतु व्यायाम(Agility Exercises) : वृध्दावस्था में विभिन्न कारणों से फ़ुर्ती में कमी आ जाती है | हमारी कुशल टीम के मार्गदर्शन में करवाए जाने वाले विशेष व्यायाम शरीर में स्फ़ूर्ति लाकर पुनः उत्साह पूर्वक जीने के लिए प्रेरित करते हैं |
हमारे यहॉं बुज़ुर्गों के स्वास्थ्य लाभ हेतु प्रदान किए जाने वाले अन्य अति विशिष्ट उपचार निम्नलिखित हैं:-
उचित आहार हेतु दिशानिर्देश (Diet Tips)
हमारे यहॉं अनुभवी चिकित्सकों द्वारा उचित खान-पान व दिनचर्या हेतु सलाह दी जाती है |
ऑंखों की देखभाल (Eye Care)
बढ़ती उम्र के साथ बुज़ुर्गों को ऑंखों से संबंधित अनेक समस्याओं जैसे- ग्लूकोमा, डायबेटिक रेटिनोपैथी इत्यादि का सामना करना पड़ता है। हमारे यहॉं श्री श्री नेत्रज्योति के अत्यंत लाभकारी उपचारों के माध्यम से ऑंखों की विभिन्न समस्याओं को दूर किया जाता है |
नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha)
जीवन में संतुलन बनाए रखने हेतु हमारे अनुभवी नाड़ी परीक्षा चिकित्सकों द्वारा शरीर की प्रकृति एवं विकृतियों के आधार पर विशेष मार्गदर्शन प्रदान किए जाते हैं, जो वृध्दावस्था में आने वाली विभिन्न परेशानियों को दूर करते हैं |
ईईसीपी (EECP)
हमारे यहॉं नॉन-इनवेसिव, सुरक्षित और दर्दरहित विधि ईईसीपी की मदद से हृदय का उपचार किया जाता है, जिसमें बिना अस्पताल में भर्ती हुए या बिना किसी शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के अवरूध्द धमनियों की जगह नये मार्ग बनाकर रक्त प्रवाह को हृदय की ओर सुचालित किया जाता है | यह विधि एन्जाइना(Angina) तथा हृदय रोगों के उपचार में विशेष लाभदायक मानी जाती है |
पंचकर्म (Panchakarma)
वृध्दावस्था में रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है, पंचकर्म के उपचार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पुनर्स्थापित करने के साथ-साथ रक्त संचार को भी बढ़ाते हैं | जैसे- नस्य, मर्म व अभ्यंग इत्यादि |
ऑस्टियोपैथी (Osteopathy)
हमारे ऑस्टियोपैथी विशेषज्ञ के द्वारा स्वास्थ्य के हर पहलू जैसे- पोषण, वज़न नियंत्रण, ज़ख्मों व रोगों से बचाव तथा भावनात्मक तनाव इत्यादि को ध्यान में रखकर, बुज़ुर्गों के लिए बनाए गए विशेष कार्यक्रम के तहत उपचार किया जाता है |
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